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छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के इतिहास में पहली बार सुबह आठ बजे खुला कोर्ट, हुई सुनवाई

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के इतिहास में यह पहली बार हुआ जब सुबह आठ बजे कोर्ट खुला और सुनवाई हुई। दरअसल याचिकाकर्ता ने अपने अधिवक्ता के म...


बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के इतिहास में यह पहली बार हुआ जब सुबह आठ बजे कोर्ट खुला और सुनवाई हुई। दरअसल याचिकाकर्ता ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में अर्जेंट हियरिंग के तहत सुनवाई के लिए याचिका दायर कर गुहार लगाई थी। मामले की गंभीरता को देखते हुए शनिवार को सुबह आठ बजे हाई कोर्ट खुला। याचिका की सुनवाई हुई और निगम की तोड़फोड की कार्रवाई पर हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता को राहत देते हुए तीन सप्ताह के लिए रोक लगा दी है। निगम ने अवैध निर्माण बताते हुए तोड़फोड़ की कार्रवाई के लिए शनिवार का दिन तय किया था।

न्यायधानी में नगर निगम के बुलडोजर कार्रवाई पर हाई काेर्ट ने रोक लगा दी है। शनिवार को सुबह आठ बजे कोर्ट की कार्रवाई प्रारंभ हुई। याचिकाकर्ता सरकंडा निवासी हरीश राठौर अपनी याचिका में कोर्ट को बताया कि नगर निगम के भवन शाखा और अतिक्रमण विभाग ने 28 मार्च को नोटिस जारी की थी। जारी नोटिस में स्वीकृत नक्शा व ड्राइंग डिजाइन के विपरीत निर्माण कार्य कराने का आरोप लगाते हुए अवैध निर्माण को तोड़ने या खुद ही हटा लेने की चेतावनी दी थी। नोटिस में इस बात का भी जिक्र किया था कि स्वीकृत नक्शा के अनुसार पार्किंग के लिए उसे निर्माणाधीन क्षेत्र में तकरीबन 125 स्कावयर फीट जमीन छोड़नी थी। उसने ऐसा नहीं किया।

नोटिस में यह भी कहा है कि पार्किंग स्पेस बनाने की शर्त पर ही निर्माण कार्य की अनुमति दी गई थी। तय नियमों व मापदंडों का उल्लंघन बताते हुए नोटिस तामिली के 24 घंटे के भीतर अवैध निर्माण को हटाने का निर्देश दिया था। यह भी चेतावनी दी थी कि अवैध निर्माण को ना हटाने पर नगर निगम खुद ही हटाने की कार्रवाई करेगा। नोटिस में दी गई अवधि के अनुसार शनिवार को नगर निगम की कार्रवाई किसी भी समय प्रारंभ हो जानी थी। इसे देखते हुए याचिकाकर्ता ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से अर्जेंट हियरिंग के तहत सुनवाई की गुहार लगाई थी। मामले की गंभीरता को देखते हुए चीफ जस्टिस के निर्देश पर अवकाश होने के बाद भी शनिवार को सुबह आठ बजे कोर्ट खुला और याचिका पर सुनवाई की गई।

कोर्ट में पेश करना होगा दस्तावेज

शनिवार को नगर निगम की कार्रवाई पर रोक लगाने के साथ ही हाई कोर्ट ने तीन सप्ताह बाद प्रकरण की सुनवाई की तिथि तय कर दी है। तब तक याचिकाकर्ता को राहत मिल गई है। अगली सुनवाई से पहले याचिकाकर्ता के साथ ही नगर निगम को निर्माण कार्य से संबंधित संपूर्ण दस्तावेज कोर्ट के सामने पेश करना होगा।


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