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भारत-यूके व्यापार समझौता साझा विकास का रोडमैप : प्रधानमंत्री मोदी

  नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को कहा कि भारत और यूनाइटेड किंगडम (यूके) के बीच हो रहा व्यापार समझौता दोनों बड़ी अर्थव्यवस...

 


नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को कहा कि भारत और यूनाइटेड किंगडम (यूके) के बीच हो रहा व्यापार समझौता दोनों बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के साझा विकास और समृद्धि का रोडमैप है। यह समझौता न केवल मार्केट एक्सेस को बढ़ाएगा बल्कि दोनों देशों के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को मजबूती देगा और लाखों युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा करेगा।

देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में आयोजित भारत-यूके सीईओ फोरम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि वर्तमान में भारत और यूके के बीच द्विपक्षीय व्यापार लगभग 56 अरब डॉलर का है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों ने इस व्यापार को 2030 तक दोगुना करने का लक्ष्य रखा है। प्रधानमंत्री ने विश्वास जताया कि यह लक्ष्य निर्धारित समय से पहले ही पूरा कर लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि भारत राजनीतिक स्थिरता और व्यापक मांग के साथ निवेश के लिए आदर्श स्थान है, जहां इन्फ्रास्ट्रक्चर, वित्त, फार्मास्यूटिकल्स और अन्य कई क्षेत्रों में बड़े अवसर मौजूद हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था निरंतर सुधारों की दिशा में बढ़ रही है और स्थिरता व आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ रही है। उन्होंने यह भी बताया कि भविष्य के व्यापार और विकास के लिए रेयर अर्थ मिनरल्स (दुर्लभ खनिज) जैसे रणनीतिक सेक्टर्स बहुत महत्वपूर्ण होंगे, क्योंकि ये औद्योगिक विकास और ऊर्जा सुरक्षा के लिए आवश्यक हैं।

इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके ब्रिटिश समकक्ष कीर स्टार्मर ने संयुक्त रूप से सीईओ फोरम में भाग लिया। इस बैठक में दोनों देशों के प्रमुख व्यापारिक और वित्तीय नेता एक साथ उपस्थित थे। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि उद्योग जगत के नेताओं और नीति निर्माताओं के अथक प्रयासों से भारत और ब्रिटेन ने व्यापार और आर्थिक सहयोग की एक मजबूत नींव तैयार की है।

प्रधानमंत्री मोदी ने महाराष्ट्र राजभवन में प्रधानमंत्री कीर स्टारमर से मुलाकात के बाद कहा, “भारत और ब्रिटेन स्वाभाविक साझेदार हैं। हमारी बढ़ती साझेदारी वैश्विक स्थिरता और आर्थिक प्रगति का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है।” दोनों नेताओं ने हिंद-प्रशांत और पश्चिम एशिया क्षेत्र में शांति और स्थिरता पर भी चर्चा की। साथ ही उन्होंने यह भी दोहराया कि संघर्षग्रस्त क्षेत्रों में शांति बहाल करने के लिए बातचीत और कूटनीति ही सर्वोत्तम रास्ता है।


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