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कोरबा-रायगढ़ में जलस्रोतों की बर्बादी पर बवाल, सुरेंद्र वर्मा ने सरकार को घेरा

  रायपुर, 06 अगस्त 2025। छत्तीसगढ़ में राखड़ माफिया को संरक्षण देने का गंभीर आरोप लगाते हुए प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्...

 


रायपुर, 06 अगस्त 2025। छत्तीसगढ़ में राखड़ माफिया को संरक्षण देने का गंभीर आरोप लगाते हुए प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने राज्य सरकार और पर्यावरण विभाग पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि मोटे कमीशन के लालच में सरकार पर्यावरणीय नियमों को ताक पर रखकर अवैध राखड़ डंपिंग को बढ़ावा दे रही है, जिससे जनजीवन पर बुरा असर पड़ रहा है।

वर्मा ने कहा कि ग्राम पंचायतों को विश्वास में लिए बिना, ग्रामसभा की स्वीकृति के बिना ही पावर प्लांट और राखड़ बांधों से बड़ी मात्रा में राखड़ गांवों में डंप की जा रही है। इसकी वजह से आम रास्ते, खेत-खलिहान, पोखर, तालाब और जल स्रोत बर्बाद हो रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि पूरे प्रदेश में भूजल स्रोत और नहरें तक राख से पाट दी गई हैं, जिससे ग्रामीण इलाकों में पानी की भारी किल्लत उत्पन्न हो रही है।

उन्होंने विशेष रूप से कोरबा और रायगढ़ जिलों की स्थिति को चिंताजनक बताया, जो पर्यावरण मंत्री ओपी चौधरी का गृह जिला भी है। वर्मा के अनुसार, कोरबा के बालको, दर्री और जमनीपाली जैसे क्षेत्रों में सड़कों के किनारे मौजूद छोटे जल स्रोत राखड़ से पूरी तरह पट चुके हैं।

वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार बालको, अडानी पॉवर, मारुति पॉवर और एसीबी पॉवर जैसी कंपनियों को लाभ पहुंचाने के लिए ‘लो लाइन’ के नाम पर जल स्रोतों में राखड़ भरने की अनुमति दे रही है। पहले केवल छोटे जलग्रहण क्षेत्रों को निशाना बनाया जाता था, लेकिन अब बड़े और स्थायी जल स्रोत भी इस प्रक्रिया की चपेट में आ रहे हैं।

उन्होंने सवाल उठाया कि निजी कंपनियों को पर्यावरण संरक्षण मंडल और ग्रामसभा की स्वीकृति के बिना राखड़ भराई की अनुमति किस आधार पर दी गई? साथ ही यह भी आरोप लगाया कि अनुपयोगी खाली खदानों के वितरण की तय प्रक्रिया को दरकिनार कर मनमानी की जा रही है।

वर्मा ने कहा कि केवल कुछ ट्रांसपोर्टरों और ठेकेदारों को फायदा पहुंचाने के लिए किसानों की जमीन, आम रास्ते और निस्तारी तालाबों को राख से पाटना अत्यंत आपत्तिजनक और जनविरोधी है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि यह सिलसिला नहीं रुका, तो प्रदेश भर में पर्यावरणीय संकट और भी गंभीर हो सकता है।

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