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दंतेवाड़ा में ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ की गूंज: समाधान शिविर में महिला सशक्तिकरण को नई दिशा

  रायपुर, 25 मई 2025 महिला एवं बाल विकास विभाग, दंतेवाड़ा के अंतर्गत एकीकृत बाल विकास परियोजना (आईसीडीएस) कुआकोंडा द्वारा आज नकुलनार पंचायत म...

 


रायपुर, 25 मई 2025 महिला एवं बाल विकास विभाग, दंतेवाड़ा के अंतर्गत एकीकृत बाल विकास परियोजना (आईसीडीएस) कुआकोंडा द्वारा आज नकुलनार पंचायत में सुशासन तिहार समाधान शिविर 2025 का आयोजन किया गया। इस अवसर पर ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ अभियान के अंतर्गत जागरूकता रैली का आयोजन किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में स्थानीय जनप्रतिनिधि, विभागीय अधिकारी, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं ग्रामीण महिलाएं उपस्थित रहीं।

समाज में बालिका शिक्षा के महत्व को उजागर करना और बेटियों को शिक्षा के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से जागरूकता रैली का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में परियोजना अधिकारी अनिल कुमार लोनिया ने बेटियों के अधिकार, शिक्षा और सशक्तिकरण पर प्रकाश डालते हुए कहा कि “बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ” केवल एक नारा नहीं, बल्कि समाज को जागरूक करने की दिशा में एक क्रांतिकारी पहल है। समाधान शिविर के दौरान किशोरी बालिकाओं के हीमोग्लोबिन जांच एवं बॉडी मास इंडेक्स मापन भी किया गया। यह कार्य स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से किया गया, जिसमें किशोरियों में एनीमिया की पहचान की जा सके। इस पहल से न केवल किशोरियों के स्वास्थ्य की स्थिति स्पष्ट होगी, बल्कि उनके लिए पोषण और चिकित्सा पर उचित मार्गदर्शन भी सुनिश्चित किया जाएगा।

समाधान शिविर में 13 गर्भवती माताओं की गोद भराई की रस्म भी संपन्न की गई। इस अवसर पर उपस्थित सरपंच द्वारा माताओं को उचित पोषण, स्वास्थ्य जांच और नवजात की देखभाल के संबंध में मार्गदर्शन दिया गया। इसके साथ ही 7 बच्चों का अन्नप्राशन संस्कार भी संपन्न किया गया, जो विभाग की “कुपोषण मुक्त दंतेवाड़ा” की दिशा में एक अहम कदम है। यह कार्यक्रम “सही पोषण-देश रोशन” के उद्देश्य को साकार करने की एक प्रभावी पहल रही। इस समाधान शिविर के माध्यम से क्षेत्र की 6 पंचायतों से प्राप्त कुल 46 मांगों, आवेदनों को महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा त्वरित रूप से निराकृत किया गया। इस अवसर पर जिला कार्यक्रम अधिकारी, दंतेवाड़ा, सभी पर्यवेक्षकगण एवं आईसीडीएस कुआकोंडा की पूरी टीम सक्रिय रूप से उपस्थित रही। आयोजन की सराहना करते हुए स्थानीय ग्रामीणों ने ऐसे शिविरों को नियमित रूप से आयोजित करने की मांग भी की।

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