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सुशासन तिहार” में डूमरपाली के महेश राम को मिला किसान किताब

महासमुंद। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा चलाए जा रहे “सुशासन तिहार” ने न सिर्फ योजनाओं को जन-जन तक पहुँचाया है, बल्कि आम नागरिकों की जमीनी समस्याओं ...

महासमुंद। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा चलाए जा रहे “सुशासन तिहार” ने न सिर्फ योजनाओं को जन-जन तक पहुँचाया है, बल्कि आम नागरिकों की जमीनी समस्याओं का त्वरित समाधान कर एक नई मिसाल भी कायम की है। ऐसी ही एक कहानी है—बसना विकासखंड के ग्राम डूमरपाली निवासी महेश राम की।

महेश राम एक साधारण कृषक हैं, जिनकी पूरी आजीविका कृषि पर निर्भर है। पिछले वर्ष से वे अपनी भूमि से जुड़ी सुविधाओं से वंचित थे, क्योंकि उनके पास ऋण पुस्तिका नहीं थी। ऋण पुस्तिका के अभाव में उन्हें न तो किसी बैंक से कृषि ऋण मिल पाता था, न ही सरकारी योजनाओं का पूर्ण लाभ। कई बार उन्होंने प्रयास किया, लेकिन उनकी आवाज कहीं ना कहीं दबकर रह जाती थी।

जब “सुशासन तिहार” अभियान की शुरुआत हुई, तो यह उनके लिए एक नई उम्मीद की किरण लेकर आया। उन्होंने ग्राम स्तर पर आयोजित शिविर में अपनी समस्या दर्ज करवाई। उनकी यह छोटी सी पहल, शासन-प्रशासन की सक्रियता के चलते एक बड़ी राहत में बदल गई।

कलेक्टर विनय कुमार लंगेह के कुशल मार्गदर्शन में, बसना तहसील की तहसीलदार ममता ठाकुर ने महेश राम की समस्या को प्राथमिकता पर लेते हुए त्वरित कार्यवाही की। समुचित सत्यापन के उपरांत महेश राम को उनकी ऋण पुस्तिका प्रदान की गई।

ऋण पुस्तिका हाथ में लेते समय महेश राम की आँखों में चमक थी—यह चमक सिर्फ कागज की नहीं, बल्कि विश्वास और अधिकार की थी। उन्होंने छत्तीसगढ़ सरकार और प्रशासनिक अधिकारियों का आभार जताते हुए कहा,

“अब मैं भी अपने खेत की उन्नति के लिए सरकारी योजनाओं का लाभ ले सकूंगा। ये सुशासन तिहार मेरे लिए किसी पर्व से कम नहीं है।”

यह कहानी सिर्फ एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि सुशासन की उस अवधारणा की है जहाँ हर नागरिक की समस्या को शासन स्वयं सुनता है, समझता है और उसका समाधान करता है। “सुशासन तिहार” ने यह साबित कर दिया है कि जब नीयत साफ हो और व्यवस्था संवेदनशील हो, तो बदलाव ज़रूर आता है।











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