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7 साल से कम की सजा वाले अपराध में ‘प्ली बारगेनिंग” से होगी सजा माफ

  बिलासपुर। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद (BILASPUR NEWS) छोटे अपराधों में पहली बार जेल गए दोषियों को सजा से राहत या दोषमुक्त होने का अवसर मि...

 


बिलासपुर। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद (BILASPUR NEWS) छोटे अपराधों में पहली बार जेल गए दोषियों को सजा से राहत या दोषमुक्त होने का अवसर मिलने जा रहा है। इस योजना के तहत पुलिस द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट (चालान) या परिवाद प्रकरण में अभियुक्त ‘प्ली बारगेनिंग” के लिए शपथ-पत्र के साथ आवेदन प्रस्तुत कर सकता है।

आवेदन में यह जिक्र करना होगा कि उसने अपराध की प्रकृति और दंड की सीमा को समझ लिया है और स्वेच्छा से आवेदन कर रहा है। तब कमेटी इस पर विचार करेगी कि उसे योजना का लाभ दिया जाए या नहीं। यदि अभियुक्त उसी अपराध में पूर्व में भी दोषसिद्ध हुआ हो तो वह प्ली बारगेनिंग के लिए अयोग्य होगा। ऐसे आवेदनों पर कोर्ट में सुनवाई नहीं होगी। मालूम हो कि प्रदेश के साथ ही देशभर की जेलों में बंदियों की संख्या क्षमता से अधिक है। इसके चलते जेल के बैरकों में बंदियों के बीच विवाद की स्थिति बनती है व आपराधिक घटनाएं भी होती हैं।


इन सब कारणों को देखते हुए शीर्ष अदालत (BILASPUR NEWS) ने कुछ इस तरह की योजना बनाई है। सात वर्ष या इससे कम की सजा भुगतने वाले बंदियों के लिए योजना का लाभ लेने पीड़ित पक्ष की सहमति को भी जरूरी है। पीड़ित पक्ष द्वारा आपत्ति दर्ज कराने की स्थिति में रिहाई संभव नहीं होगी। शीर्ष अदालत छोटे मामलों के ऐसे आरोपित जिस पर पुलिस द्वारा अपराध दर्ज किया जा रहा है। योजना के तहत सजा कम करने या रिहाई का मौका देना है। इसके पीछे आपराधिक गतिविधियों से दूर रखकर समाज की मुख्यधारा से जोड़जर रखना माना जा रहा है।

योजना का लाभ गंभीर अपराधों में नहीं उठाया जा सकेगा। बच्चों के खिलाफ किए अपराध व देश विरोधी गतिविधियों में शामिल होने जैसे अपराध पर भी यह लागू नहीं होगा।

यदि अभियुक्त उसी अपराध में पूर्व में भी दोषसिद्ध हुआ हो तो वह प्ली बारगेनिंग के लिए अयोग्य होगा।

ऐसे अपराध जो देश की सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करते हैं।

ऐसे चलेगी सुनवाई की प्रक्रिया

योजना के तहत राहत के लिए आरोपित (BILASPUR NEWS) को शपथ पत्र के साथ आवेदन पेश करना होगा। आवेदन प्राप्त होने के बाद न्यायालय लोक अभियोजक, परिवादी, पीड़ित पक्ष एवं अनुसंधानकर्ता अधिकारी को न्यायालय में उपस्थित रहने के लिए नोटिस जारी करेगा। न्यायालय उक्त पक्षों को आपसी संतोषजनक हल निकालने के लिए समय देगा। सभी पक्षों की सहमति के बाद कोर्ट अपना फैसला सुनाएगा।

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