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केंद्रीय जेल में बंदियों ने सीखी पुरोहिताई, मंदिर में कर रहे पूजा-पाठ, द्वितीय प्रशिक्षण सत्र प्रारंभ

  राजधानी में गायत्री परिवार एवं जेल प्रशासन के मार्गदर्शन में केंद्रीय जेल भोपाल में 50 बंदियों को युगपुरोहित बनने का प्रशिक्षण दिया जा रहा...

 


राजधानी में गायत्री परिवार एवं जेल प्रशासन के मार्गदर्शन में केंद्रीय जेल भोपाल में 50 बंदियों को युगपुरोहित बनने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है1 शुक्रवार को इसके द्वितीय सत्र का शुभारंभ हुआ। इस अवसर पर जेल अधीक्षक दिनेश नरगावे ने बंदियों से कहा कि इस पुनीत कार्य के लिए भगवान ने आप लोगों का चयन किया है। इस अवसर का समुचित लाभ उठाएं। यहां से जब रिहा होकर जाएं, तो दूसरों को भी प्रेरणा दें और समाज के विकास में सकारात्‍मक ढंग से सहभागी बनें।


गायत्री शक्तिपीठ के प्रवक्ता रमेश नागर ने बताया कि शुरुआत में शांतिकुंज प्रतिनिधि सदानंद अंबेकर ने शिविर के अनुशासन गायत्री का परिवार का परिचय, उद्देश्य मनुष्य में देवत्व और धरती पर स्वर्ग का अवतरण युग निर्माण योजना के बारे में विस्तृत जानकारी दी। इस द्वितीय सत्र में युगपुरोहित प्रशिक्षण के साथ योग प्राणायाम, ध्यान साधना, प्राकृतिक चिकित्सा का भी समावेश किया गया है। यह प्रशिक्षक योगाचार्य मुरली पाटीदार द्वारा दिया जाएगा। यज्ञीय कर्मकांड, पूजन, 16 संस्कार का प्रशिक्षण प्रशिक्षक श्रावण गीते, सुरेश कावड़कर, आरआर चडोकार। बौद्धिक एवं कर्मकांड का दर्शन रघुनाथ प्रसाद हजारी, अशोक सक्सेना, डा. दयानंद, एमडी उपाध्याय द्वारा दिया जाएगा।


कार्यक्रम के दौरान जेल अधीक्षक ने बताया कि प्रथम प्रशिक्षण सत्र के पुरोहितों ने जेल परिसर में मंदिरों की पूजा पाठ का कार्य प्रारंभ कर दिया है। इस अवसर पर जेल कल्याण अधिकारी आरडी उमाडे ने कहा कि यह प्रशिक्षित होकर जब जेल से छूटकर जाएंगे तो मध्य प्रदेश शासन की योजना के अंतर्गत भी शहर, गांव के मंदिरों में पुजारियों की जो नियुक्ति होगी, उसके तहत भी मंदिरों में भी सेवा दे सकते हैं। दिनेश मुबेल ने गायत्री परिवार का आभार व्यक्त किया।

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