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जानकर आपको भी होगी हैरानी भिलाई-चरौदा में रेल-मोटर के धुआं के गुब्बार के बीच सुकोमल जोकर तितली और अन्य जीवों का है बसेरा

   छत्तीसगढ़ के औद्योगिक क्षेत्र में से एक भिलाई-चरौदा में रेल-पटरियों का जाल बिछा है। रेल-पटरियों के आस-पास की खाली जमीन में उगे हुए छोटे-छ...


 


 छत्तीसगढ़ के औद्योगिक क्षेत्र में से एक भिलाई-चरौदा में रेल-पटरियों का जाल बिछा है। रेल-पटरियों के आस-पास की खाली जमीन में उगे हुए छोटे-छोटे पौधों में एक विशेष प्रजाति की तितली—’ जोकर तितली’— ‘JOKER BUTTERFLY’ का बसेरा आपको चमत्कृत कर देगा,यदि आप उस जगह और उसे ध्यान से देखेंगे तब

  


  प्रकृति में बहुत कुछ अनदेखा है और न देखो तो अनजाना ही रह जाता है, जीवन की व्यस्तता में आदमी जगत् की विशालता और विविधता को एक नजर देख भी नहीं पाता। कौन जानता था कि चरौदा में रेल-पटरियों के बीच की खाली जमीन में उगने वाले पौधों में तितली की एक विशेष प्रजाति का एक छोटा सा संसार है, 



हमारे ही बीच में चरौदा के  खोजी प्रवृत्ति का एक शख्स है। जिन्होंने अपनी खोज के जुनून में चरौदा में रेलवे की खाली जमीन में रहने वाली JOKER नुमा तितली खोज निकाली जो कि छत्तीसगढ़ में पहला रिकॉर्ड हुआ,यह तितली पुरे भारत में बहुत कम पायी जाने वाली तितलियों में से एक है। इस तितली के जीवन चक्र के विषय में बहुत सी ज्ञानवर्धक जानकारियाँ दी हैं। वह शख्स है ‘अविनाश मौर्या’।



वे लगभग दस बारह वर्षों से वन्य जीव-जन्तुओं के बचाव एवं संरक्षण के विषय में काम कर रहे हैं। पेशे से वे “वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर और सांपों के एक्सपर्ट है, अब तक छत्तीसगढ़ में  5000 से ज्यादा सांपो को बचाने के साथ साथ और अन्य भी  वन्य-जीवों के संरक्षण में काम कर‌ रही कई संस्थाओं के साथ अन्य  वन्यजीव के संरक्षण को लेकर कई वर्षों से छत्तीसगढ़ के अभयारण्यों में भी काम करते आ रहे हैं  ,पर खुद को (solo traveller) एकल यात्री मानते हैं ”  क्योंकि आधे से ज्यादा छत्तीसगढ़ और भारत भी इन्होंने अकेले  ही घूम लिया है 


खैर अविनाश मौर्या वैसे तो बचपन से ही वन्यजीवों के करीब रहे पर  2011 से  पूरे छत्तीसगढ़ में वन्य जीवों के अवलोकन और अध्ययन में अपना समय और श्रम लगाया। उन्होंने सन् 2014 -16 से छत्तीसगढ़ के ( कबीरधाम, दुर्ग ,राजनांदगांव) में सांपों , छिपकली के की खोज में अहम भूमिका निभाई  साथ साथ 2016 में भोरमदेव अभयारण्य में (Tigers) बाघों के गणना के ऊपर भी काम किया। 2017-18 में सिरपूर में चिडियों के साथ साथ  वहाँ के तालाबों और हाथियों के सर्व  के साथ एवं गरियाबंद के टाइगर रिजर्व में भी काम किया इसी दौरान 2017 में इन्होंने दुर्ग जिले से एक चिड़िया की खोज की जो  छत्तीसगढ़ का पहला रिकॉर्ड था उसके साथ 2019 में पौधों से लेकर अनेक प्रजातियों का अवलोकन किया जिसमें कुछ अनदेखे प्रजाति के जीवो की खोज की।इसी के साथ 2020-21मे अविनाश और उनके साथी प्रवीण दोनोडे और अन्य भी पूरे कोरोना काल में वन्यजीव बचाव कार्य (जिला- दुर्ग) में जारी रखा , फिर चाहे बात छत्तीसगढ़ में सम्पन्न हुए पहले पक्षी महोत्सव2021 (जिला- बेमेतरा) की क्यों ना हो उसमें भी अविनाश मौर्या की अग्रिम भुमिका रही।



और फिर एक दिन अप्रैल 2021 में इन्होंने एक तितली की प्रजाति  खोजी जो कि दुर्ग जिले के चरौदा में दिख रही है  24 अप्रैल 2021 में इन्होंने तितली का पहला फोटोग्राफी रिकॉर्ड किया। वह प्यारी सी एक विशेष तितली  है जिसका  सामान्य  नाम (जोकर )JOKERऔर  बायोलॉजी की भाषा में ( Byblia Ilithyia ) है। यह एक (Nymphalid family) निम्फैलिड परिवार की तितली की प्रजाति है 


यह एशिया महाद्वीप के भारत देश में यह तितली आठ राज्यों – आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, तेलंगाना, कर्नाटक ,गुजरात, तमिलनाडु, मध्यप्रदेश और राजस्थान में नजर आती है। और अब ये तितली ''9वा राज्य'' (छत्तीसगढ़) में भी नजर आने लगी है। 


अविनाश मौर्या  को यह तितली चरौदा में रेल्वे यार्ड के आसपास फोटोग्राफी करते वक्त नजर आयी इन्होंने तत्काल उसकी फोटो ले ली और जब उसने इसके विषय में जानकारी जुटाई तो पता चला कि वह ‘जोकर तितली Byblia Ilithyia’ है। उस रिकॉर्ड को रखते हुए अविनाश ने  पिछले 9 महीने इस जोकर तितली के अवलोकन (observation) कर रहे हैं ,  इस तितली पर दिन रात यहाँ तक कि धूप  बारिश में भी अपना अवलोकन जारी रखा। 


साथ ही अविनाश ने बताया कि इतना समय देने के बाद उनका मानना है  कि अब वो आगे अप्रैल 2022 तक इस तितली के व्यवहार को  पूरी तरह परखे समझे और जितना हो सके इस तितली के बारे में जानकारी जुटा कर इस तितली के  संरक्षण  के लिए काम करे। 


अविनाश घूम घूमकर  तितलियों का गहराई से अवलोकन किया। तब उन्हें पता चला कि छत्तीसगढ़ में जहाँ ये मिली है वहाँ (चरौदा) में उन तितलियों का बसेरा है, इस बात ने उन्हें और अधिक प्रभावित किया इस वजह से अविनाश मौर्या तितली की इस विशेष प्रजाति के अवलोकन और अध्ययन के लिए पूरी तत्परता से जुट गये। 



सबसे बड़ी और अच्छी बात तो यह रही कि जो तितली छत्तीसगढ़ में किसी को मिली नहीं है,वह तितली अविनाश के आसपास उड़ने लगी ,अविनाश ने  बताया कि इस तितली के आसपास इतने  लंबे समय जुड़े रहने से तितलियाँ उनके हाथ में भी बैठने लगी 

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अप्रैल से लेकर अक्टूबर तक मतलब एक परिपक्व (mature) तितली से अंडे देने के समय तक उन्होंने लगातार अवलोकन (observe) किया और इस अवलोकन को जारी भी रखना चाहते हैं अगले  अप्रैल 2022 तक यानी पूरा एक साल देना चाहते हैं। 


अपने अवलोकन (observation) में अविनाश ने यह भी जाना कि ये तितली अन्य तितलियों के मुकाबले ज्यादा ऊँची उड़ान नहीं ले पाती है,


अविनाश मौर्या ने इस तितली का क्षेत्र (area) देखा है जो कि कम से कम 3 से 5 कि.मी का एक खास क्षेत्र (particular area) है। प्रत्येक तितली का एक सीमित क्षेत्र होता है पर इस तितली का ज्यादा लंबा क्षेत्र (area) है



 क्योंकि इसके होस्ट पौधे ( Host plant) ''Cannabis Leaf Nettle'' जिसका वैज्ञानिक नाम ‘Tragia Plunkentii’ है,अच्छी बात ये है कि ये पौधे भी  छत्तीसगढ़ के लिए पौधों में नयी एक प्रजाति का रिकॉर्ड भी अविनाश के नाम है। पौंधा नया है  अतः इसके बारे मे भी जानकारी जुटाई जा रही साथ ही पता चला की ये औषधीय पौधों से संबंधित पौधे हैं। 



ये पौधे छत्तीसगढ़ में चरौदा के रेल्वे ट्रैक के आसपास मिले हैं। यह ऐसे पौधे हैं कि इन्हें ज्यादा मिट्टी की आवश्यकता नहीं होती । और इन पौधों में खास बात यह है कि इनके पास कोई इंसानी शरीर नहीं जा सकता। इन पौधों में छोटे छोटे  बारीक काँटे लगे होते हैं जिनके संपर्क में आने पर ये काँटे त्वचा में चुभ जाते हैं और इससे जलन,चुभन, चकत्ते, निकल आते हैं और इनका असर कुछ घंटों तक बना रहता है। लेकिन इन्हीं पौधों को जोकर तितली के इल्ली (caterpillars) चाव से खाते रहते हैं। और उन्हीं पौधों के  आसपास अविनाश ने पिछले 9 महीनों से अवलोकन जारी रखा हैं।


यह एक विशेष प्रजाति की तितली के जीवन-चर्या का अवलोकन (observation) और प्रस्तुतीकरण (presentation) निश्चय ही जीव विज्ञान के क्षेत्र में अध्ययन का दायरा प्रशस्त करने वाला साबित होगा।



अविनाश इस बात  से बहुत खुश  हैं क्योंकि इस तितली का जीवनकाल अन्य तितलियों  के मुकाबले ज्यादा दिन तक है ,और आशा करते हैं पुरे साल ये दिखे। अगर ऐसा है तो यह छत्तीसगढ़ के लिये ही नहीं बल्कि पुरे भारत देश  के लिए बड़ी बात होगी। 



इस जोकर(JOKER) तितली और उसके जुड़े  इन सारी खूबियों के कारण अविनाश मौर्या चाहते हैं कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री  भूपेश बघेल जी ( जिनका निवास स्थान भी  चरौदा  है ) अविनाश अपनी  खींची हुई ( खूबसूरत और अनदेखी तितली की पिक्चर ) अपनी माताजी के जन्मदिन 19 दिसम्बर के दिन सर सीएम श्री भूपेश बघेल जी को भेंट करें.ताकि इस दुर्लभ दिखने वाली तितली माननीय मुख्यमंत्री जी के समक्ष हो और इस तितली का भविष्य कुछ दुर्गम से अच्छा हो।



फिल्हाल अविनाश मौर्या के अवलोकन (Observation) में  उनके साथ ( रिसर्चर व प्रोफेसर ) मिस ममता जोगी जी हैं , फोटोग्राफर  भावनाथ तिवारी और कुछ लोकल लोग के साथ (मध्य भारत) के पौधों  के (विशेषज्ञ  व रिसर्चर) एच.एल.  नायक , (पक्षी विशेषज्ञ) रवि नायडू,  फ़ोटोग्राफ़र व(वन्य जीव संरक्षर)अनुप, व अन्य साथ काम कर रहे हैं ,इसी तरह मीडिया पार्टनर(Cgmitan) से राजू वर्मा (वन्य जीव संरक्षर)और अन्य भी साथ दे रहे हैं।


आशा करते हैं कि अविनाश मौर्या के इस अवलोकन से जोकर तितली का आने वाला भविष्य अच्छा रहेगा। और बहुत सी महत्वपूर्ण जानकारियां प्राप्त हो। कैमरे के अभाव होने पर भी अविनाश अपने मोबाइल से ही सारी पिक्चर हासिल की जो देखने लायक है इन सबके  साथ ही अविनाश वन‌विभाग छत्तीसगढ़ का धन्यवाद करते हुए आशा करते हैं कि आने वाले भविष्य में इस दुर्लभ खूबसूरत तितली व इस  जैसे अन्य  सभी वन्य-जीव के संरक्षण में वनविभाग के साथ मिलकर काम करते रहेंगे।

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